Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

CA. Himanshu mehta

Drama Inspirational

4.7  

CA. Himanshu mehta

Drama Inspirational

चल उठ प्रण कर

चल उठ प्रण कर

2 mins
22.5K


चल उठ प्रण कर ना क्षण एक बेकार कर

मुसीबतों के बीच ठीक सीने पर वार कर

कब ना थी साथ तेरे यह मजबूरियां

जो खिलाफ है तेरे उनके खिलाफ ही यलगार कर


1. हो कितना भी गहरा दरिया फरेब का उतर कर पार कर

है मेहनत कम तेरी दो हाथों की तो भुजाओं को चार कर

शिकायत है कि किस्मत ने रखा है तुझे हाशिए पर

करके मन क्रुद्ध उस लकीर पर ही वार कर

चल उठ प्रण कर ना क्षण एक बेकार कर


2. हार जाना भले पर मत बैठना कभी हार कर

रुकना पड़े तो रुक आगे बढ़ने में दो कदम खुद को तैयार कर

हो मत निराश की गिर गया चलते हुए बीच रास्ते में

जिंदगी में गिरकर उठने का अनुभव भी स्वीकार कर

चल उठ प्रण कर ना क्षण एक बेकार कर


3. कौन उठाता है तेरा फायदा, तू किसका जरा विचार कर

कितनों ने किया है कत्ले तेरे ऐतबार का,

तू जी रहा है कितनों का विश्वास मार कर

सब ने किया है गलत तेरे साथ,

पर तूने नही छोड़कर सिर्फ अपना नजरिया

खुद को दूसरों के नजरिए के एकसार कर

चल उठ प्रण कर ना क्षण एक बेकार कर प


4. चलता रह पथ पर अपने पर जरा कांटे निहार कर

सिर्फ प्रयोजित ना रह जाए जिंदगी व्यर्थ विहार भी कर

आएंगे कई गड्ढे तेरी रहगुजर में

करके करना पड़े प्रयास जितना कर के

मंजिल नाम अपने इस बार कर

चल उठ प्रण कर ना क्षण एक बेकार कर...!


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama