मैं और तुम
मैं और तुम
मैं तुमको अपना हृदय लिखूँ,
तुम मुझको अपनी प्रीत लिखो।
मैं तुमको जीवन राग लिखूँ,
तुम मुझको मधुर संगीत लिखो।।
तेरे मेरे साथ की घड़ियाँ
इतनी मधुरम, व्यापक हों...
मैं, ख़ुद को तुझमें विलय करूँ,
तुम मुझको अपनी जीत लिखो।।
मैं तुमको अपना हृदय लिखूँ,
तुम मुझको अपनी प्रीत लिखो।
मैं तुमको जीवन राग लिखूँ,
तुम मुझको मधुर संगीत लिखो।।
तेरे मेरे साथ की घड़ियाँ
इतनी मधुरम, व्यापक हों...
मैं, ख़ुद को तुझमें विलय करूँ,
तुम मुझको अपनी जीत लिखो।।