'समंदर का कहर'
'समंदर का कहर'
हमारी जीविका का आधार
समंदर
हमारी जान
इतने थोक-भाव से लेगा
यह अंदाज़ा लगा पाते
समंदर की छाती पर
तैरने वाले मछुआरे
उसकी गोद में समाहित हो गए
सदा सदा के लिए
हम तुम्हारी जल-क्रीड़ा को
देखने आए थे
और तुम
हमारी जीवन-लीला के पीछे पड़ गए
पर्यटक सोचते
स्याह दिन काफ़ी निकल आया था
क्रिसमस की रात
मौज-मस्ती करते
नए वर्ष के स्वागत के
नए नए तरीके ढूंढ़ते
जो देर से सोए थे
उनकी ख़ुमारी उतरती
वे हमेशा के लिए
उस घाट उतर गए
किसी परमाणु बम के विस्फोट के प्रभाव से
लाख गुना अधिक भयानकता रखने वाले
इस समुद्री तूफ़ान की
दैत्याकार शक्ति
सिहराती है उन्हें भी
जिन्होंने कभी समंदर नहीं देखा
अपने समग्र जीवन में
प्रकृति की सुंदरता
प्रकृति का खंजर बन जाती है
हम सोचते हैं और
अपनी समस्त ज़िद
एवं भौंचक्केपन के साथ
अपनी बर्बादी को
अपनी आत्मदीनता में
स्वीकारते हैं
दुनिया का भूगोल
बदल जाता है
बदल जाती है
तक़दीर दुनिया की
दुनिया जो हम रचते हैं
बड़े अरमान से
जुड़कर अपने परिश्रम की बूंदों से
और खोकर
अपना चैन और मूल्य भी
सब ध्वस्त हो जाता है
कुछ पलों में
प्राकृतिक कोप का कहर
भारी पड़ता है
हमारे वस्तु संग्रह की
आदिम प्रवृत्ति पर