दोस्ती की कहानी
दोस्ती की कहानी
मेरा एक दोस्त है वैसे दोस्त तो सभी के होते हैं
पर हम तो अलग होके भी साथ होते है।
ये दास्तां कुछ दस साल पुरानी है,
कोई इत्तेफ़ाक नहीं बल्कि हादसे की कहानी है
कमजोर दिल था मेरा धड़कने धीमी चलती थी
जिंदगी जैसे किसी बीमारी के साये में ढ़लती थी
पहुंचा एक हॉस्पिटल जहाँ कुछ ही मरीज़ थे
मेरे पास बेड पर ही एक और खुशमिजाज़ था
समझा नहीं वो किस लिए करवा रहा इलाज था
देखकर लगता तो नहीं उसे कोई बीमारी होगी
हाँ शायद अब उसके घर जाने की तैयारी होगी
दूसरे दिन मेरा आपरेशन का इन्तज़ाम हुआ
आँखें खुली तो जैसे एक नए दिल को छुआ
पता चला खुशमिजाज़ ने मुझे दिल दान दिया
वक्त नहीं था इसलिए उसने यह काम किया
वो जिंदगी में अपनी आखिरी साँसे गिनता रहा
मरते मरते वह दूसरे के लिए जीता रहा
आज दिल मेरे पास पर धड़कन उसी का है
रोम रोम में बसा लड़कपन भी उसी का है
वक्त के साथ साथ जमाना भी बदल गया
मैं भी जिंदगी में बहुत आगे निकल गया
वो हॉस्पिटल अब खंडहर बन गया है
खिड़की और हर जगह धूल जम गया है
लोहे की बेड पे आज जंग लग गए हैं
दवाइयों के पर्चे ज़मीन पर बिखरे पड़े हैं
मैं जब मन चाहे यहाँ आता जाता हूँ
दूर से सही बस कुछ पल यहाँ बिताता हूँ
इन हवाओं में उससे बातें करता हूँ
दिल में है वो किसी से भी नहीं डरता हूँ।
जिंदगी दान देकर वो बना एक दानी है
यही हमारे दोस्ती की कहानी है।