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Ratna Pandey

Tragedy

5.0  

Ratna Pandey

Tragedy

एक मजदूर और दो वक़्त की रोटी

एक मजदूर और दो वक़्त की रोटी

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जी हाँ यह मजदूर है,

जिसका जीवन कब तक है

उससे वह अन्जान है,

नहीं जानता कब किसी

पुल के नीचे दब जायेगा,

कब किसी इमारत से गिर जायेगा,

या कब कंपनी के प्रदूषण से मर जायेगा।


जानता है तो सिर्फ दो वक़्त की रोटी,

एक मजदूर दो वक़्त की

रोटी कमाने के लिये,

किसी चौराहे पर खड़ा सोचता है,

कि काश कुछ काम मिल जाये।


माँ का ख्याल जब आता है,

तन से पसीना छूट जाता है,

रोटी के बिन जिस भूखी माँ ने,

दूध पिलाया अब वह बूढ़ी हो चली।


यदि उसे भूखी ही सुलाऊंगा तो,

अपने आंसुओं को कैसे छुपाऊंगा,

अपना कर्तव्य कैसे निभाऊंगा और

माँ के दूध का क़र्ज़ कैसे चुकाऊंगा।


भोजन बर्बाद करने वालों,

रोटी की कीमत क्या होती है,

उस गरीब मज़दूर से पूछो,

जो दिन भर पसीना बहाता है

तब जाकर उसके घर

चूल्हा जल पाता है।


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