लड़कियाँ
लड़कियाँ
घर में कहीं से भी दर्द लाती नहीं है लड़कियाँ।
जाकर यहाँ वापस कभी आती नहीं है लड़कियाँ।
घर की हवा में साँस बन जीती रहे ज्यूँ तितलियाँ,
चाहे निकालो आँख से, जाती नहीं है लड़कियाँ।
ये गाँव की मिट्टी बनी ऐसे घुली हैं साँस में,
बरसों तलक दुनिया कभी भुलाती नहीं है लड़कियाँ।
सब के सहे तानें सदा ये दर्द भीतर झेलती,
बुरा किसी को शब्द भी सुनातीं नहीं है लड़कियाँ।
माँ-बाप का साया बने वो धूप सहती है सदा,
लेकिन कभी परिवार को रुलाती नहीं है लड़कियाँ।
हम छोड़ के शक्ति खरी पत्थर पूजा करते हैं क्यूँ,
इसलिए हमें वो आज भी भातीं नहीं है लड़कियाँ।
वो दे तो सारे सुख सभी को प्यार से दे जातीं है,
लेकिन जरा नुकसान भी देती नहीं हैं लड़कियाँ।।