एक अभिशाप
एक अभिशाप
रोना रोना रोना ही
औरत की किस्मत होती है,
फूलों की तरह पालते हैं
माता-पिता अपनी बिटिया को,
राजकुमारियों-सी किस्मत
लिखना चाहते हैं उनकी,
कोई दर्द कोई गम ना मिले
उनकी राजदुलारी को, ये ही चाहत होती है।
बड़े लाड़ प्यार से उसको
खुद से दूर विदा करते हैं,
खुशियाँ ही खुशियाँ उसकी
झोली में भरना चाहते हैं।
ये दहेज के लालची गर मिल जाये तो,
बिटिया के नसीब में कांटे ही कांटे चुभ जाते हैं।
जान पे उनकी बेटी की बन आती है,
क़सूर किसका होता है ये कोई बता नहीं पाता,
लाड़ और नाजों से पाली प्यारी बेटी
को खोना पड़ता है,
दहेज है एक अभिशाप, ये जान ले लेता है।