आदमियत के रास्ते
आदमियत के रास्ते
जाके कोई क्या पूछे भी आदमियत के रास्ते,
क्या पता किन किन हालातों से गुजरता आदमी।
चुने किसको हसरतों जरूरतों के दरमियाँ,
एक को कसता है तो दूजे से पिसता आदमी।
चलता नहीं जोर खुद की आदतों पे आदमी का,
कसने की पुरजोर कोशिश पर बिखरता आदमी।
गलतियाँ करना है फितरत करता है आदतन,
और सबक ये सीखना कि दुहराता है आदमी।
मानता है ख्वाब दुनिया जानता है ख्वाब दुनिया,
पर अधूरी ख्वाहिशों का ख्वाब करता आदमी।
"अमिताभ"इसकी हसरतों की क्या बताऊँ दास्ताँ,
आग में जल खाक बनकर राख रखता आदमी।