कहानी अपनी लगती है
कहानी अपनी लगती है
मोहब्बत कोई भी करता,
कहानी अपनी लगती है,
बिखरता कोई चाहत में,
जवानी अपनी लगती है।
अजब किस्सा मोहब्बत है,
हमेशा नींद ले जाये,
असर बस दिल पर होता है,
नादानी अपनी लगती है।
तमन्ना कौन रखता है,
जिगर में आज चाहत का,
मुझे हर राह में अब तक,
दीवानी अपनी लगती है।
कोई कहता मोहब्बत में,
ज़रा दिल हार के देखो,
मैं तन्हा ढूँढ़ता जिसको,
सयानी अपनी लगती है।
किसी के वास्ते ख़ुद को,
लुटा दूँ ही तो अच्छा है,
ना तन्हा दिन में गुज़रेगी,
बेगानी अपनी लगती है।
बहुत गुस्ताखियाँ भी दिल,
मोहब्बत में किया मेरा,
मगर चाहत सनम तेरी,
रुहानी अपनी लगती है।
फ़ना हम भी फ़ना तुम भी,
मगर ज़िन्दा तेरी यादें,
मगर ये रोग चाहत,
खानदानी अपनी लगती है।
मगर दिल पर यही दुनिया,
सितम ढाती रही मेरे,
मगर ग़म इश्क़ में सहना,
निशानी अपनी लगती है।
बता देना सनम मुझको,
क़यामत आने वाली है,
मिलन की कोशिशें मेरी,
पुरानी अपनी लगती है।
सफर में मैं तुम्हीं मंजिल,
किधर जाना है तेरे बिन,
मिलोगे तुम नहीं आखिर,
कहानी अपनी लगती है।
मिटा कर खुदको चाहा था,
मिटा डाला उसी ने ही,
मगर 'मंज़र' वही चाहत,
गुमानी अपनी लगती है।