यादें झरोख़ा नहीं
यादें झरोख़ा नहीं
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यादें होती हैं समूचा घर
पुश्तैनी घरों के त्यौहार
चहल-पहल का पर्याय
ख़ुशियों का पहला नाम
जीवन को हौसले की बूँद
झरोखे से आता है भविष्य
अपने आकर्षण में बाँध जो
उपेक्षित कराता है गुज़रा कल
पर वही कल
होता जाता है सुनहरा
हर बीतते लम्हे के साथ……
बिना सुहागे के
मशाल