खूबसूरती
खूबसूरती
खूबसूरती,
उनकी मुस्कुराहट की,
उनकी सादगी की,
वो जैसे हैं, उनकी हर आदत की।।
न जाने क्या है ऐसा,
कि ओझल ही नहीं होते आँखों से,
उनकी हर शरारत, उनकी इनायत की।
खूबसूरती उनकी हर बात की।।
हर वक़्त मन में जो है,
उन सभी सिमटी यादों की,
खूबसूरती हर शिकायत की,
एक जानी - पहचानी आहट की।
जो हैं बहुत शांत से,
चेहरे पर एक मासूमियत लिए,
खूबसूरती उनके बांकेपन की,
क्या तारीफ़ करूँ, उनकी इंसानियत की।।
हाँ, वो कोई और नहीं,
खूबसूरती की परिभाषा हैं,
वो पँछी, वो पेड़, वो नदी,
वो जो देख रहे हो न आकाश में,
हाँ, वही खूबसूरती,
अनगिनत सितारों की,
अनंत, अदम्य,
हर एक कण, हर क्षण की !
जो छिपा है हमारे भीतर कहीं,
खूबसूरती उस भगवान की,
जहाँ से हुआ, सृष्टि का सृजन,
हाँ बस वही, खूबसूरती !