वो खुला आसमान बाक़ी है।
वो खुला आसमान बाक़ी है।
जहाँ तक मेरी नजर जाये।
वो खुला आसमान बाक़ी है।
कोई मुझे रोके ना मुझे पता है
अभी मेरी उड़ान बाक़ी है।।
सफर तो अभी शुरू किया
ही है मैंने।
अभी तो मुझ में, बहुत जान
बाकी है।।
वो परिंदों की तरह बेपरवाह
उड़ना है मुझे।
अभी तो इस उड़ान की
थकान बाकी है।।
वो जंजीरें, डालकर, मुझ को
रोक नहीं सकता
सफर -ए -फासला
तय करना है अभी जो मेरे
दरमियान बाकी हैं।।
वक्त के हाथों जिसे
हमने छोड़ा था।
गुजर गया है फिर भी
निशान बाकी है।।