चलो एक बार फिर से जी लें
चलो एक बार फिर से जी लें
चलो बचपन की यादों में फिर से जी लें
चलो सावन की पहली बारिश में फिर से भीगें
चलाएं कश्तियाँ कागज़ की फिर नालियों में
चलो मिट्टी के गड्ढों में फिर से लोटैं
चलो आमों के बागों में फिर से घूमें
दबे पैर आमों को शाखों से फिर से तोड़ें
उड़ाएं बुलबुले साबुन के फिर गलियों में
चलो फिर कटती पतंगो को फिर से लूटें
बना ले रेत के महल फिर मन मुताबिक
चलो कांच की गोलियों से फिर से खेलें
भूल जाएं बड़प्पन की सारी बन्दिशें सब
चलो एक बार ज़िन्दगी फिर से जी लें...।