आज माँ की कहानी सुनाती हूँ
आज माँ की कहानी सुनाती हूँ
सुनो
तुम मेरी ज़िन्दगी हो
धड़कन हो हर चाह की
माँ के लिए बच्चे से अधिक
कुछ भी मूल्यवान नहीं होता …
हाँ, हाँ जानती हूँ इस बात को तब से
जब मेरी हर बात में मेरी माँ होती थी
चलो आज मैं तुम्हें माँ की कहानी सुनाती हूँ
ईश्वर एक दिन बड़ा परेशान था
उसके पास बहुत सारे काम थे
और वह सोच रहा था
कि जब वह किसी कुरुक्षेत्र में
न्याय-अन्याय की पैनी धार पे होगा
तो सृष्टि में सूर्य कवच सा कौन होगा सुरक्षा में !
तभी उसकी माँ ने उसके सर पे हाथ रखा
और कहा -
जिस माँ के गर्भ से विराट स्वरुप का जन्म हो
उस माँ की शक्ति से बढ़कर और कौन सी शक्ति होगी ?
माँ कंस से भी नहीं डरती
9 महीने की सुरक्षा देकर
जिस अर्थ को वह जन्म देती है
उस अर्थ के आगे पूरी सृष्टि दुआओं के धागे बाँधती है …
ईश्वर मासूम बच्चे सा मुस्कुरा उठा
और अपनी माँ के ह्रदय से एक माँ की रचना की
धरती पर भेजकर निश्चिन्त हो गया।
जानते हो,
माँ जादूगर होती है
बच्चे की हर अबोली भाषा को समझती है
उसकी नींद से सोती है,
जागती है
पूतना को मार गिराने की
कंस को खत्म करने की
धरती-आकाश के विस्तार को नापने की ताकत
अपने जाये में भरती है
सीने से लगाकर
उसकी भूख मिटाकर
उसमें विघ्नहर्ता सा साहस देती है …
तो अब तुम ही कहो
तुमको रोने की क्या ज़रूरत
तुम्हारे आगे लक्ष्मण रेखा सी माँ की दुआएँ हैं
यूँ कहो उससे बढ़कर
हाँ
तुम भी उसे पार करके तूफ़ान में नहीं जा सकते
हर आँधी तूफ़ान के लिए माँ का आँचल काफी है
थपेड़े लोरी बन जाते हैं
माँ के एक इशारे पर
राक्षस तक बच्चे को हँसाता है
तभी तो
ऐसी हँसी पर ख़ुदा याद आता है