अजब हाल
अजब हाल
अजब - सा हाल मेरा हो गया है
मुकद्दर आज कैसा सो गया है
कहाँ तक राह देखे कोई उसकी
नहीं लौटा है जब से वो गया है
कटी है रात सारी जागकर अब
कहीं तो ख़्वाब मेरा खो गया है
किया तो ये किया एहसान मुझपर
नमक से जख़्म मेरे धो गया है
नहीं मिलता कहीं अब चैन मुझको
वो दिल में बीज ऐसा बो गया है
'लकी' अब चैन से ना रह सकेगा
तुझे बदनाम करके जो गया है !