शायरी
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उम्र गुज़र रही है, इम्तिहानों में साहब
कल तक किताबों में सवाल थे, आज मोहब्बत में !
उम्र गुज़र रही है, इम्तिहानों में साहब
कल तक किताबों में सवाल थे, आज मोहब्बत में !