वक़्त तो बहुत कुछ छीन लेता है
वक़्त तो बहुत कुछ छीन लेता है
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वक़्त तो बहुत कुछ छीन लेता है,
खैर मेरी तो सिर्फ मुस्कराहट थी।
एक ही तो वजह थी जीने की मेरी,
उसने छीनी मुझसे मेरी चाहत थी।
रातभर न सोने दिया मेरी पलको ने,
महसूस हो रही उनकी आहट थी।
वो तो न हो सके हमारे ग़म नहीं,
उनके ख़्वाबों ने दी मुझे राहत थी।
वक़्त तो बहुत कुछ छीन लेता है,
खैर मेरी तो सिर्फ मुस्कराहट थी।
मालूम है छोड़ के मुझे वो खुश है,
फिर भी हो रही मुझे घबराहट थी।
पल पल हर पल सोचता रहता हूँ,
शायद रूह को मेरी हुई आदत थी।
यही ज़िन्दगी और जिया इसी तरह,
मेरी ज़िन्दगी की यही कड़वाहट थी।