अगर कोई मुझसे पूछे
अगर कोई मुझसे पूछे
अगर कोई मुझसे पूछे
सजा का हक़दार है कौन ?
मैं जिस्मों पर रंग लगा दूंगा,
हर छुपे चेहरे का नक़ाब उठाकर
सबको असली चेहरा दिखा दूंगा।
है सब पाप की नगरी के लोग
तो कुछ इंसानों को हवा दूंगा,
उनके जमीर को टटोलुंगा "तनहा"
और सारे शहर में लगा दूंगा।
अगर कोई मुझसे पूछे
सजा का हक़दार है कौन ?
मैं खाखी से कुछ तमगे हटा दूंगा,
मैं चरण स्पर्श करूँगा कुछ ज्ञानी के,
और अज्ञानी को सारे सन्देश सुना दूंगा।
है ज़माना बुरा, बुरे है हम भी
शीशे में शीशे का चेहरा दिखा दूंगा
फिर भी न सलीका आया चलने का,
तो ऐसे मर्दों के पाँव में घुंगरू
नारी की आवाज़ मरदाना बना दूंगा।