माँ की महानता
माँ की महानता
[ मातृ दिवस, 13 मई 2018 के उपलक्ष्य में मेरी कविता संपूर्ण जगत की सभी माताओं को समर्पित। ]
माँ से मिला प्यार, अमृत के समान है।
मेरी माँ त्रिलोक में सबसे महान है।
जब जाता हूँ घर से बाहर,
खाली बाल्टी दिख जाती है।
रोक देती है बाहर जाने से
वो भरी बाल्टी लाती है।।
लगे नज़र ना मेरे लाल को,
काजल का टीका लगाती है।
जो पसंद हो बेटे को उसके,
वो वही व्यंजन बनाती है।।
माँ मेरा दर्पण, माँ ही मेरा सम्मान है,
मेरी माँ त्रिलोक में सबसे महान है।
अनाथ बच्चों से जाकर पूछो,
माँ की कमी क्या होती है।
ज़िंदगी वो भी जीते हैं,
उन पर जान नहीं होती है।।
लगती चोट बच्चों को जब भी,
माँ को पीड़ा बहुत होती है।
रोती - सिसकती है अकेले में,
खुशियाँ बच्चों को वो देती है।।
माँ मेरी आत्मा, माँ मेरा मान है,
मेरी माँ त्रिलोक में सबसे महान है।
पढ़ने - लिखने को जब बच्चे,
उसके घर से बाहर रहते है।
रोज़ सोचती है अकेले में वो,
लाड़ले कितना कष्ट सहते हैं।।
सदा जोड़ती है हाथ ईश्वर के,
मेरे बच्चे नौकरी पा जाएँ।
बढ़ें रात - दिन इतनी तेज़ी से,
वो सारे शहर पे छा जाएँ।।
माँ की मुस्कान ही, मेरा जहान है,
मेरी माँ त्रिलोक में सबसे महान है
क्या करना है तीर्थ जाकर,
जब मैया मेरी घर में है।
वंदन करता हूँ जगजननी का,
सारे सुख उसके चरणों में हैं।।
इस धरा पर लाने वाली का,
सत्कार हमेशा जारी है।
एक मेरी इकलौती मैया,
सारी पृथ्वी से भारी है।।
मैया मेरा जीवन मैया मेरी जान है,
मेरी माँ त्रिलोक में सबसे महान है।
जब - जब जन्म लूँ धरती पर मैं,
बस तेरी कोख से जन्म लूं मैं।
तेरे आँचल से ढका रहूँ मैं,
तेरे चरणों की माटी को चूमूँ मैं।।
तू ही मेरा भविष्य, तू ही वर्तमान है,
मेरी माँ त्रिलोक में सबसे महान है।