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Mani Aggarwal

Children Stories

4.7  

Mani Aggarwal

Children Stories

वो सपनों से सुन्दर दिन

वो सपनों से सुन्दर दिन

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सुन ओ नीलगगन के प्यारे,

पंछी मुझको तू बतला रे !

कहीं बचा क्या मुझे बता दे ?

निश्छल, निर्मल प्रेम सखा रे !


मुझे बता तू अनुभव अपने,

कितने सच थे सुन्दर सपने ?

अपनापन दर्शाते सब में,

कितने पाये सच में अपने ?


बता कहाँ वो छाया पाई ?

जिसने तेरी थकन मिटाई !

और तेरे स्वागत के हेतु,

किसने बढ़कर की अगुवाई !


कहीं मिली क्या प्यारी अम्मा ?

तेरा भोजन थाल सजाती !

चिंतित हो तेरी तृष्णा से,

मिट्टी का जल-पात्र भराती !


क्या अब भी सुन तान सुरीली ?

तरुवर झूम-झूम जाते हैं !

औ हवा के झोंको के संग,

बाँहें अपनी लहराते हैं !


मुझको दिखते नहीं दूर तक,

वो मनमोहक दृश्य सुहाने !

नयन नीर छलका जाते हैं,

बचपन के वो दिन मस्ताने !


तुझे पकड़ने दौड़ा करती

औ गिर जाने पर रोती थी !

देख घोंसले में नन्हों को,

पर मैं कितना खुश होती थी !


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