मुक्तक
मुक्तक
रंगरेज के डिब्बे लुढ़के बिखरे रह गए रंग
सतरंगी भुवन बने धनक सब रह गए दंग
नभ के गर्जन से भूडोल उजड़े कई नीड़
सपने टूटे प्रेमबंध छूटे बजने से रह गए चंग
रंगरेज के डिब्बे लुढ़के बिखरे रह गए रंग
सतरंगी भुवन बने धनक सब रह गए दंग
नभ के गर्जन से भूडोल उजड़े कई नीड़
सपने टूटे प्रेमबंध छूटे बजने से रह गए चंग