देश की दुर्दशा
देश की दुर्दशा
स्वप्न था जो वीर सेनानियों का
फल था जो अमर बलिदानों का
कहाँ गया वह स्वर्ग सम भारत?
क्या हो गयी है देश की हालत!
कहीं बेरोज़गारी, कहीं लाचारी है
शासक उद्दण्ड़ और भ्रष्टाचारी है
कहीं अन्यायों की है भीषण मार
कहीं जनता है शोषण की शिकार
नारी नित दिन अपमानित होती है
फूट फूट कर भारत माता रोती है
अन्न उपजाने वाला भूखा सोता है
दरिद्र तो बस दरिद्र ही रह जाता है
स्वप्न यह दुस्वप्न में कैसे गया बदल?
स्वर्ग यह कैसे बन गया नर्क प्रतल?
चलो उद्धार करें पतित भारत का
स्वप्न पूरा करें उन अमर वीरों का।