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Shashi Mehra

Abstract

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Shashi Mehra

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शोर ए दिल

शोर ए दिल

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मुश्किल को, आसान बताना पड़ता है

सबसे दिल का दर्द छुपाना पड़ता है

भूल अगर भूले से भी हो जाए तो

दिवारों से सर टकराना पड़ता है

तन्हाई हो दूर कहीं परदेस में जब

यादों से ही दिल बहलाना पड़ता है

बन जाते हैं ऐसे भी हालात कभी

भूल के रंजिश, गले लगाना पड़ता है

जीते जी ही, हर मुश्किल से बच्चों को

कैसे लड़ना है, सिखलाना पड़ता है

कहने भर से, काम नहीं है, चल जाता

सच साबित करके दिखलाना पड़ता है

जिन लोगों से मिल के ख़ुशी नहीं होती

उन लोगो से आँख चुराना पड़ता है

ठीक 'शशि' कहते हो, खुशियों की खातिर

रब से पहले, यार मनाना, पड़ता है 


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