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Rohit Rai

Drama Romance

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Rohit Rai

Drama Romance

बरसात

बरसात

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आज बेमुरौवत बरसात हो गई,

घर से निकले थे तभी रात हो गई,

कदम लड़खड़ाये अँधेरे में,

संभलते ही उनसे मुलाकात हो गई,

संभलना याद ना रहा,

फिर से वही वारदात हो गई।


भीगे सारी रात हम,

इश्क़ के दरिया में,

बरसात तो अब पुरानी बात हो गई।


बादलो से चाँद आज,

जमीं पर उतर आया था,

पूर्णिमा की रात तो मेरी थी,

ना जाने कितने घरो में अँधेरा छाया था।


वो बेपनाह खूबसूरत-सी,

इश्क़ की एक मूरत थी और,

मेरी वीरान दुनिया की ज़रूरत थी,

इश्क़ में आज फरमा बहुत रहे थे हम,

पर चुपके से शरमा भी बहुत रहे थे हम।


सावन और मुहब्बत दोनों की,

शुरुआत हो चुकी थी,

उम्र भर साथ चलने की,

बात हो चुकी थी,

सोचा कही ये ख्वाब तो नहीं,

पर गालों पर सुर्ख गुलाबी,

मखमली एहसास हो चुकी थी।


शायद ये निश्छल प्यार था मेरा,

और उसको समझने वाला यार था मेरा,

बारिश ने भी आज,

सारी रात जगा दिया,

और दो प्यार करने वालों की,

कश्ती किनारे लगा दिया।


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