आखिरी खत
आखिरी खत
दूर है इसलिए बड़ी मुश्किलों से,
हमारी कभी मुलाकात होती थी।
एक खत का ही सहारा था,
जिसके जरिए हमारी बात होती थी।
बातों ही बातों में उसने कभी,
एक रंगीन ख्वाब सजाया था।
बता रहीं थी की उसे भी मेरे जैसे,
अजनबी के ख्वाब ने सताया था।
मैं खिल उठा फिर कलियों की तरह,
और आवारा दिल बाग-बाग हो गया।
तब से जागा भी उसके ख्वाबों में,
और उसी के ख्वाबों में सो गया।
जवाब में खत लिखा है मैंने भी,
अपने दिल का हाल बताने के लिए।
बेहद दीवानगी छाईं थी जो मुझमें,
वही सारी खुशियाँ जताने के लिए।
उस खत का थोड़ा सा हिस्सा,
लिखा कैसे था बताता हूँ।
कैद किया था जिन लम्हों को,
मैं वो आपको भी सुनाता हूं।
एक चाँद और एक चकोर
दोनों ने जीती दिल की बाजी हैं।
पुरे जहाँ से मैं चुरा लूंगा तुझे,
बस बता देना तेरा दिल जब राजी है।
खत आया जब अगला तो,
वह अजनबी कोई और निकला।
ख्वाब भी तोड़ा था उसी ने,
शख्त दिल था जहां पिघला।
बीत गया जमाना मिले हुए,
बैठे-बैठे सारे खत को देखता हूं।
पढ़ता तो नहीं हूं कभी भी,
दिल के टुकड़े अक्सर समेटता हूं।
लिखा था आखिरी खत मैंने,
भेजा नहीं दिल इतना मजबूर था।
खत आखिरी मेरे साथ रह गया पर,
मैंने बधाई वाला खत भेजा जरूर था।