लरज़िश
लरज़िश
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लरज़िश एसी उठी मेरे ज़हन में फिर इजतिराब भी बढ़ गयी,
और अगले ही पल मैंने उन्हें फिर से खो दिया।
बड़ा ग़ुस्सा आता है तेरी हरकतों पर मुझे गाहे गाहे,
और ये कहकर रूह ने मेरी फिर से रो दिया।
ख़ुद खुदा को दिया था वादा तूने फिर भी तू बाज़ ना आया,
और ये कहकर परछाईं ने मेरी मुझको फिर टोक दिया।
क्या समझता है तु अपने आप को ज़रा भी तमीज़ नहीं क्या तुझमें,
और ये कहकर उसने मुझे विरहा में झोंक दिया।
तुझ से नहीं एसी उम्मीद कभी रखी थी 'सफ़र'
और तनहायी ने भी मुझे फिर रास्तों पर यूँही तनहा छोड़ दिया।