शून्य
शून्य
जीवन मेरा शून्य हो गया,
खुशी और गम कहीं गुम हो गया।
ना है खुशियों का पता,
ना है गम का पता।
इनके बिना वक़्त ठहर गया है,
इनके बीना आदमी मरने के लिए तरस गया है।
खुशियाँ रहती थीं,
तो वक़्त हँसते-खेलते बीत जाता था।
गम रहता था,
तो वक़्त रोते-लड़ते बीत जाता था।
ना है खुशियों का पता,
ना है गम का पता।
इनके बिना वक़्त ठहर गया है,
इनके बिना नस-नस रो पड़ी है।