जिंदगी मे 'रिवर्स गियर' नही हो
जिंदगी मे 'रिवर्स गियर' नही हो
चल,
फिर से बच्चा बन जाते है
लड़ते है, झगड़ते है
कट्टीस ..कट्टीस ..कट्टीस
मेलिस..मेलिस..मेलिस
और जो मेलिस न हो पाया तो?
उह!
हटाओ न, समझदारी का खोल
फेंक दो ना बड़प्पन दूर... बहुत दूर
खेलोगी, आंख मिचौली ?
देंगा-पानी, रुमाल चोर?
हाँ, सब खेल ही तो है !
फिर वही बात ?
ओ सयानी,
चल सुनाती हूँ एक कहानी
फूलकुमारी की
जब हंसती थी तो सारे फूल हँसते थे
जब रोती थी तो..?
ओ...हो !
चल एक नाव बनाये
खेवेंगे साथ-साथ
बादलों के देश में ले जायेंगे उसे
अच्छा!
पल भर भी टिकेगी तेरी कागज़ की नाव ?
अब तू सुन!
छोड़ ये मासूमियत
ओढ़ ले मुखौटा
बन जा सयानी
मत उलझ,
सपनो की दुनिया में
कि नहीं आता बचपन कभी लौटकर
कि नहीं होता कोई जिसकी ऊँगली पकड़ चल पड़े हम
क्यूंकि जिंदगी मे 'रिवर्स गियर' नही होता
क्यूंकि जिंदगी मे 'कोई' रिवर्स गियर नही होता