Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Rashmi Jain

Tragedy

3  

Rashmi Jain

Tragedy

भूख

भूख

3 mins
566


तेरी इमारत से सटी गली में 

आज़ भी एक भूखा बच्चा रोता है 

रो रोकर भूखे पेट ही सोता है 

कुछ कहता नहीं 

ना ही दर्द अपने ज़ाहिर करता है 

बस पलकें मूँद 

जो मिल जाए 

तेरा बचा खुचा वो खा लेता है 


कहता है 

तुम खा लो भर पेट 

मन ना करे तो छोड़ दो प्लेट 

मैं उस में से ही चख लूँगा 

रूखा सूखा जो भी मिले 

उसे प्रसाद समझ रख लूँगा 


क्योंकि 

मुझे भूख नहीं है 

या यूँ कहूँ खाने की आदत ही नहीं है 

आज भी 

तेरी इमारत से सटी गली में 

एक भूखा बच्चा रोता है 


अज़ब ये संसार की रीत देखो 

ऊपर वाले का रचित ये खेल देखो 

एक ही दुनिया में ये कैसा भेदभाव देखो 

कैसी ये विडम्बना है 

एक तरफ़ है आसमान को

छूती ऊँची ऊँची इमारतें 

दूसरी ओर वीरान सड़कों

पर हैं ये बेबस जानें रोती 


एक तरफ़ कोई मजबूरन ही

फ़ल मूल खाता है 

दिल ना करे तो कूड़ेदान में

आसानी से डाल आता है 

दूसरी तरफ़ रोता बिलखता

एक मासूम खाने को तरसता है 


मज़बूरी में भूखे प्यासे ही सोता है 

पर लब से कुछ ना कहता है 

कंकाल सा शशीर 

बेज़ान सी नन्ही ज़ान 


आँखें करती हैं बयां 

इसके मन का हाल 

पूछती हैं लाखों सवाल 

क्यूँ आज़ भी 

तेरी इमारत से सटी गली में 

एक भूखा बच्चा रोता है 


तुझे पकवान भी है ना भाते 

वो दो वक़्त की रोटी पाने

को रोज़ रोज़ ही मरता है 

उतनी बड़ी झोपड़ भी नहीं उसकी 

जितनी लम्बी तेरी गाड़ी है 

गाड़ी में जब भी तू बाजू से निकलता है 


वो तेरे बड़े से शीशे में अपनी

खाली खोली को तकता है 

जहाँ मुट्ठी भर चावल भी

नसीब मुश्क़िल से होता है 

कैसी ये मज़बूरी है 

क्यूँ ये सीनाज़ोरी है 


क्या पैसा इतना ज़रूरी है 

हाँ शायद 

क्योंकि 

आज भी 

तेरी इमारत से सटी गली में 

एक भूखा बच्चा रोता है 



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy