गीत
गीत
ये कोई करिश्मा या हकीकत है जहां की,
है रोशन दुनिया ये खुशबू है यहां की।
निगाहें कई हैं नजारों पर इसके,
मगर मेरे जैसा सुने धुन वहां की।
कोई नाम दे इसको मुहब्बत सरीखी,
कोई लिख कर गजल बता दे बारीकी।
हँसकर सुनाये मीठे गीतों की बोली,
कोई शर्माये मुस्करा होठों से गुलाबी।
कई नाम लफ्जों में है इसकी भाषा,
कौन समझा सका प्रीत की परिभाषा।
मैं भी लिखने चला था कुछ इस तरह से,
लिखकर अधूरा बढ़ी और जिज्ञासा।
कैसी तकदीर किसकी कौन जाने,
किसी के पास मिलने के लाखों बहाने।
जिसकी तारीफ में लिखा कुछ ऐसा,
ये 'सुबोध' कसम से चला प्यार पाने।