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Ajay Amitabh Suman

Others

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Ajay Amitabh Suman

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इंतजार

इंतजार

1 min
202


एक नन्ही सी गुड़िया थी, एक नन्हा सा गुड्डा था

रुनझुन पायल छनकाती ये, वो हौले साज सजाता था

इनके खेल की अजब कहानी, बनती ये परियों की रानी

बौने आते खूब शोर मचाते, ये उनको मार भागता था।


ना जात पता था नन्हे को, ना जात पता था नन्ही को

जब मिलते भर मन मिलते, की जग सारा हँस पड़ता था

फिर वही हुआ जो होता है, की दोनों को फटकार लगी

तब जाके उनको पता लगा, ये लड़की थी वो लड़का था


पढ़ने को घर वो छोड़ चला, उसने पूछा कब आओगे

आँखों से कहा था नन्हे ने, जब भी दिल से तुम बुलाओगे

बीत गए बरसों बरस अब, दोनों के है अपने संसार

फिर भी नन्हे को भुला नहीं, की लौट के कब तुम आओगे।


ये बात पता है इसको भी, की मिल के मिल नहीं सकते

गैर नहीं है दोनों फिर, अपना भी तो कह नहीं सकते

कभी मिलेंगे दोनों फिर, इसका इसको एतबार है

ऐ रब तु ही जाने फिर, ये कैसा इंतजार है।


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