आज की पुकार
आज की पुकार
चाहे छल करो या दंगल
हम न टूटे हैं ना टूटेंगे
तुम्हें बाहर खदेड़ कर ही दम लेंगे
जान ही नहीं पहचान भी लो
अखंड भारत को सम्मान दो।
तुम्हारी हर चुनौती खंड-खंड हो
हमारे अदम्य साहस की गूंज हो
हमारा विश्वास अडिग है
अखंड भारत का हमें आशीष है।
तुमने हमारी सोच को ललकारा है
आतंक से तुम्हारा पुराना नाता है
तुम्हें हमारे इरादों का वास्ता है
हमारे अदम्य साहस के सामने
तुम्हारा हर पैंतरा फीका है।
हमारा हर चरखी दाँव
तुम्हें स्तब्ध कर देगा।
हमारी क्षमता का
तुम्हें शीघ्र ही एहसास करा देगा।
हमारी एक खास पहचान है।
हम पर सब करते कुर्बान अपनी जान है।
तुम्हारे संहार की उल्टी गिनती
की यह शुरुआत है।
हमारी परम शक्ति की
संपूर्णता का आगाज है।
तुम पलायन हो,
छिन्न भिन्न हो
यही आज की पुकार है।।