सीता को अब माँ दुर्गा बनना होगा
सीता को अब माँ दुर्गा बनना होगा
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हैवान बना
ये
मानव देखो
कामान्ध हो बन बैठा
सर्प विशैला
दंष दिया
डस लिया
नारी देह को
समझ खिलौना
खेला जी भर
और तोड़ दिया
मरने को छोड दिया
जब-तब किया वार
अस्मत पे
उसकी
और समझा
इसको शान अपनी
वक्त अब लाना होगा
पापियों को ऐसे
सबक सिखाना होगा
आँसू खून के
आंखों में
उनकी
लाना होगा
हर सीता को
अब
माँ दुर्गा
बनना होगा
रूप काल भैरवी
का धर
ऐसे
पापियों का
संहार करना होगा
दरिन्द्गी की सोच का
समूल
नाश करना होगा