उल्टा ही होता है
उल्टा ही होता है
प्यार है तो इनकार क्यों
इज़हार होना चाहिये
प्यार नहीं है तो इनकार क्यों नहीं
डर किस बात का
प्यार किया है तो डरे क्यों हम
प्यार किया है कोई पाप नहीं
इज़हार अपने प्यार का हम
सरे आम करते है
अपने दिल की सुनते है किसी
और कि नहीं
वो जिसे हम पसंद करते है
उसे छोड़ पूरी दुनिया हम को
मिल जाती है
ये ही नियति का लिखा खेल
होता है
मौत मांगो तो मिलती नहीं
जीवन मांगो तो मिलता नहीं
उल्टा ही होता है जो चाहो वो
नहीं मिलता
ख्वाब तो रोज देखते है
कुछ वक्त के साथ पूरे हो जाते है
कुछ अधूरे रह जाते है
बन्द आँख से देखे ख्वाब अधूरे रहते है
खुली आँख से देखे हुए ख्वाब अक्सर
सच होने की उम्मीद ज्यादा होती है
हर रात की तरह ही ये रात भी गुजर
जाएगी
तन्हा है तन्हा ही रहेंगे हम
कोई नहीं आने वाला जीवन में अब
फिर क्यों उदास होना और रोना
चुप चाप आंखे बंद करते है
और सो जाते है
नींद कई बार टूट जाती है जब
ख्वाबो में कोई साया आहट देता है
फिर ख्वाब है यह सच नहीं
सोच कर सो जाते है