माँ से दूरी
माँ से दूरी
मैं माँ से थोड़ी दूर ही रहती थी
पर बाबा से लगाव कुछ ज़्यादा रखती थी ,
फिर एक रात आयी
जब बहुत कुछ बदला
उस रात हम शादी से देर रात आये ,
माँ बाबा के कमरे में ही थक कर लेट गए
पर माँ ने जब तेज़ आवाज़ में मुझे
मेरे कमरे में जाने को कहा
आलास ने मुझे उसी कमरे में कब्ज़ा कर सोने को बोला,
तो मैंने भी सोने का नाटक शुरू किया
और बाबा ने हर बार की तरह मेरा साथ देते हुए वही चैन से सोने दिया।
हम तीनों बस सोने की कोशिश कर ही रहे थे
की तभी नानी की कॉल आई और माँ फ़ोन
उठाये बालकनी की और चली गयी
धीमे धीमे मेरे जिस्म को उनकी उंगलियाये सहलाने लगी,
एक हाथ मेरे कुर्ते को ऊपर कर मुझे कटोचने लगा
और दूसरा हाथ मेरी सलवार में घुस मुझे नोचने लगा,
मैं चुप थी क्योंकि वो बाबा है मेरे वो करते रहे क्योकि चुप थी मैं
उन्हें यक़ीन था की उनकी बेटी वो बाबा है उसके याद रख मुँह न खोलेगी,
पर जब बाबा ही सब भूल हवस के पुजारी बने मै भी
सारी हिचकिचाहट भूल उन्हें मार माँ की और दौड़ी
वही माँ जिनके करीब जाने से भी कतराती थी मै।