लम्हा लम्हा काटना मुश्किल सा हुआ
लम्हा लम्हा काटना मुश्किल सा हुआ
लम्हा लम्हा काटना मुश्किल सा हुआ
जो हिम्मत की था मिसाल, वो बुज़दिल सा हुआ
अधूरी सी लगती उसे अब सारी मंजिलें
जैसे उसकी ही राहों में हैं सारी मुश्किलें
समझ में अब आता नहीं कि कौनसी राह चुनें
टूटे हुए तार संगीत देते नहीं
पीछे छूटे जो यार वो आवाज़ देते नहीं
अपनों के बीच में ही अब जीना दुश्वार हुआ
लम्हा लम्हा काटना मुश्किल सा हुआ
जो हिम्मत की था मिसाल वो बुज़दिल सा हुआ
अंधेरों में जो जलता था, चिराग की तरह
आज वो पड़ा है बुझी, राख की तरह
न उसमें कोई अब हसरत है बची
न कोई जोश है न कुछ पाने की ज़िद है बची
होठ है सिले हुए, जैसे आवाज़ है रुंध गयी
अब मेरी हर हरक़त, तेरी बेरूखी से बंध गयी
हंसी का हर पल, अब रुस्वां हुआ
लम्हा लम्हा काटना मुश्किल सा हुआ
जो हिम्मत की था मिसाल, वो बुजदिल सा हुआ