बुलंद हौसला
बुलंद हौसला
रास्ते तो मुश्किल ही होते हैं
पैर तो घिसना ही पड़ता है।
कशमकश हमेशा बनी रहती है
उभर के तो आना ही पड़ता है।
हाथ की पांच उंगली
एक समान नहीं होती
दिन के बाद रात,
रात के बाद दिन
हमेशा रात नहीं होती।
घने बादल है तो क्या हुआ
सूरज छुप गया है तो क्या हुआ।
समय गुजर जाएगा
बादल छंट जाएँगे।
रोशनी की पहली किरण चमकेगी
फिर से ये धरती मुस्करायेगी।
हौसला बुलंद हो तो
कुछ भी नामुमकिन नहीं।
मांझी साथ हो तो
कश्ती किनारों से दूर नहीं।