प्यारी धरती
प्यारी धरती
तुम्हारी मिट्टी के चूल्हे में
बचाकर रखो
थोड़ी सी आग
अपनी होंठ में बचाकर रखो
थोड़ी सी मुस्कान
कौन जाने कब पहुंचे
तुम्हारे चौखट पर
थका मंदा कोई पड़ोसी
माँगने के लिए थोड़ी सी आग
जलाने के लिए चूल्हा
और पाने को मुस्कान
खुश रहने के लिए
तुम्हारी हथेली और अंगुलियों में
बचाकर रखो थोड़ी सी उष्णता
कौन जाने कब
किसी दोस्त का ठण्ड से थरथर
हाथ आगे बढ़ जायेगा
बचाकर रखो थोड़ी सी उष्णता
अगले प्रजन्मों के लिए
थोड़ी सी स्वच्छ पानी
थोड़ी सी सुगंध, धरती की
बारूद की विषैला गंध से
बचाकर रखो
अपनी जंगल - पहाड़,
गाँव और नगर
तुम्हारी वह नव अतिथि जब आएंगे
इस धूल भरी धरती पर
चलने- फिरने के लिए
सुख- दुःख भोगने के लिए
इस नीले आसमान में उड़ने के लिए
तब वह आनंद के साथ कह सके
इस प्यारी धरती में
बहुत कुछ है उनके लिए।