Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

Sachin Kapoor

Others

2  

Sachin Kapoor

Others

डोर

डोर

1 min
290


मुझसे तुझ तक जाती है

तुझसे मुझ तक आती है

एक डोर

डोर जो जोड़ती है

मुझे तुझसे

तुझे मुझसे

छिटक जाती है हाथों से कभी

फिर दौड़ कर थाम लेता हूँ

टूट जाती है कभी उलझकर

तो कभी तनाव से

कभी जोड़ लेती है तू

कभी मैं बांध देता हूँ

गाँठें बहुत हैं तो क्या

डोर आज भी जोड़े हुए है

तुझे मुझसे

मुझे तुझसे


Rate this content
Log in