Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Sha Azam Siddiqui

Drama

2.5  

Sha Azam Siddiqui

Drama

कैसी है ये ज़िन्दगी

कैसी है ये ज़िन्दगी

2 mins
13.7K


है अजीब सी

न जाने कैसी है

बिना डोर की पतंग सी

या फिर बिना पहियों की गाड़ी सी


है बस कुछ ऐसी ही

न तुम्हारी न हमारी

ये सब के लिये है परायी

न जाने, लगे बस एक पहेली सी


जो न सुलझ पाये

न तो ये राह दिखाए

रहे बस हर वक़्त उलझन में

इसका चलन कोई न समझ पाए


जो कल थे साथ

अब छूट गया उनका साथ

जो थे करीब कभी

बस रह गई उनकी याद


एेसी है यह जिन्दगी

न जाने क्यों हँसाती है

जब कोई हँसे थोड़ा

फिर यह खूब रुलाती है


बस यही बात समझ नहीं आती है

ज़िन्दगी किसी को भी नहीं भाती है

बस जो दस्तूर है उसे पूरा किये जाते हैं

हम तो रोज़ाना यूँ ही जिए जाते हैं


कभी अपनों के पास ले जाती है

फिर कहीं यह उन्हें दूर ले जाती है

न पास रहने दे यह किसी को

बस, दूरियाँ हर पल बढ़ाती है


जब लिखा करते हैं इसे

यही बात समझ नहीं आती है

जब होती ही नहीं अपनी

फिर क्यों झूठी बातें बताती है


न समझ पाते हैं

फिर भी सब जीते चले जाते हैं

समझना तो चाहता ही नहीं कोई

बस, आँखें बंद करके जीना चाहते हैं


इन्हीं बंद आँखों में

ये कहीं झूठे ख्वाब दिखाती है

फिर जब दौड़े उन ख्वाबों के पीछे

ठोकर मार कर जगाती है


जब आँखें खुलती है

फिर ज़िन्दगी की हकीकत समझ आती है

ये तो बस एक ख्वाब है

ख्वाबों को हकीकत से मिलाना चाहती है


ख्वाबों की अपनी जगह है

ज़िन्दगी जीते सब बेवजह है

जब जीने की वजह समझ आती है

तब फिर ज़िन्दगी संग अपने मुस्कुराती है


न रुकती है यह कलम मेरी

ये बात कुछ समझ नहीं आती है

क्या हकीकत है क्या ख्वाब है ?

इसी को समझने में उम्र बीत जाती है


जिये यूँ ज़िन्दगी हम लिखते चले जायें

यूँ ही ज़िन्दगी को हम जीते चले जायें

आज कल जब भी एक सुकून मिल जाता है

लिख देते हैं युही कुछ लम्हे

हमें तो बस यूँ ही जीना अाता है।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama