नेता जी ! सुनो तो सही
नेता जी ! सुनो तो सही
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ख़्वाबों में सही मिला तो करो
मोहब्बत न सही गिला तो करो
क्यों इतने आलसी बन कर हो बैठे
कभी अपनी कुर्सी से हिला तो करो
बीते हैं ज़माने तुम्हारी शक्ल देखे
काम कोई मतलब बिला तो करो
अनाप- शनाप बस बकते हो रहते
कभी अपने होठों को सिला तो करो
ज़ेर को दबाकर हो मर्दानगी दिखाते
मर्दानगी को अपनी तिला तो करो
“तलाश” है तुम्हारी बीते हैं चुनाव
अरे ख़्वाबों में सही मिला तो करो