कुछ साँसें
कुछ साँसें
गूँगा दरवाज़ा
बहरी दीवारें
अंधी खिड़कियां
छूकर भी न छूती हुई
यह चीज़ें
और ?
और बस
उनसे बातें करती
उन्हें
सुनती
छूती
और उनमें
ज़िंदगी की महक
ढूँढती
कुछ साँसें...।।
गूँगा दरवाज़ा
बहरी दीवारें
अंधी खिड़कियां
छूकर भी न छूती हुई
यह चीज़ें
और ?
और बस
उनसे बातें करती
उन्हें
सुनती
छूती
और उनमें
ज़िंदगी की महक
ढूँढती
कुछ साँसें...।।