सुरमई शाम
सुरमई शाम
आज सुरमई शाम से मुलाकात हुई
जुबां ख़ामोश थी इशारों में बात हुई,
शरमा के आगोश में खुद के सिमट गई
अँधेरे को खुद पर यूँ ही गफ़लत हुई ,
चाँद से चेहरे को छुपा लिया घूँघट में
सितारों से मिलने की मान - मिन्नत हुई,
वो लिपटी रही सकुचाई सी खुद से
इंतजार की इबादत! क्या बात हुई ,
थक -हार कर गुजर चली जब रात काली
सुबह के धुंधलके से शाम की मुलाकात हुई !