मांग लो मुझे
मांग लो मुझे
तुमने मांगा प्यार मुझसे
मैंने दिया एक कतरा दर्द का
जो सुलगता है तुम्हारे सीने में
रात रातभर शोला बनकर...
मांगी तुमने एक उजली सुबह
दिया मैंने तमस का टुकड़ा
उस घनघोर अँधेरे ने घेर लिया
तुम्हें ....
तन्हाई की गर्तों में धकेल दिया
मांगी एक सुरम्य शाम तुमने दी मैंने
बेचैनी तुम्हे
समुन्दर जितनी......
डूब गये तुम उसके भीतर
तूफ़ान ओर बवंडर में जैसे
प्यार जो किया तुमने मुझसे
क्या पाओगे आखिर एक पत्थर से...
हो अगर तुम हुनरमंद तो तराशो मुझे
शायद हीरे सी निखर उठूँ
चाहत की रोशनी से झिलमिलाती
पास आओ
छू लो मुझे संदल सी मैं महकने लगूँ
चूमो मुझे कर दो आकाश सी असीम
मिलूँ गले हो अरमान तुम्हारे पूरे
मांग लो मुझे खुदा से लकीरों में रहूँगी
सदा तेरे नशीब सी।