आजमाना
आजमाना
मेरे पीठ की लकीरें से
क्यों लड़ने की ताकत को आजमाते हो
मेरे गूंगेपन से
क्यों मेरे आवाज़ को आजमाते हो
मेरी ढीली मुट्ठी से
क्यों मेरे बाजुओं को आजमाते हो
मेरे ज़ख्म की गहराई से
क्यों मेरे दर्द की इंतहा आजमाते हो
दोस्त !!
ज्वालामुखी की चुप्पी से
उसकी आग मत आजमाओ
समुद्र की स्थिरता से
उसके तूफान को मत आजमाओ
धधक उठेगी तुम्हारी दुनिया
इस चिंगारी की ताकत मत आजमाओ