बेटियों की ज़िंदगी भी कितनी अजीब है
बेटियों की ज़िंदगी भी कितनी अजीब है
बेटियों की ज़िंदगी भी कितनी अजीब है
कल होगी वो दूर,
लेकिन आज करीब है,
दुनिया भर की दौलत ही क्यों ना हो उसके पास
लेकिन जिसके पास बेटी है,
वही सबसे गरीब है
बेटियों की ज़िंदगी भी कितनी अजीब है...
माँ-बाप के दिलों में रहती
वो सबसे खास है
सिर्फ बेटी ही नहीं,
वो उनके जीने की आस है,
उसकी छोटी-छोटी खुशियों का ख़याल रखना
उसकी खुशियाँ ही
माँ-बाप की खुशियों का एहसास है,
जो अपनी बेटी को बेशुमार चाहे,
वही सबसे गरीब है बेटियों की ज़िंदगी भी कितनी अजीब है...
बेटियों से ही बनती ज़िंदगी,
बेटियों से ही चलती है
शायद इसीलिए ये दुनिया,
बेटियों से इतना जलती है,
अगर ना हों बेटियाँ
तो इस दुनिया का वजूद ना होगा
एक दिन भी घर से दूर जाए,
तो उसकी कमी खलती है,
जिसकी दुनिया अपनी बेटी में बसी है,
वही सबसे गरीब है
बेटियों की ज़िंदगी भी कितनी अजीब है...
घर की रौनक है वो,
सबकी खुशियाँ भी उसी से
सब अधूरे हैं उसके बिना,
सबकी कमियाँ भी उसी से,
ज़िंदगीभर हंसाने वाली परी
एक दिन रुला जाती है
सबको अपने दिल में बसाती वो,
सबकी दूरियाँ भी उसी से,
ना चाहते हुए भी जो अपनी बेटी खो दे,
वही सबसे गरीब है
बेटियों की ज़िंदगी भी कितनी अजीब है...