मुस्कुरा लेता हूँ
मुस्कुरा लेता हूँ
गम लाख हैं,
फिर भी मुस्करा लेता हूँ,
गिर तो गया होता मैं ,कब का,
मगर खुद को सम्भाल लेता हूँ,
ग़म लाख हैं,
फिर भी मुस्करा लेता हूँ।
याद आते हैं,
वो साथ गुजारे लम्हें,
आँख भर आती है,
उस बेवफ़ा की,
रूसवाई से,
फिर भी जी लेता हूँ,
ग़म लाख हैं,
फिर भी मुस्करा लेता हूँ।
मरहम भी अब,
ज़ख्म भरते नहीं,
खामोश बैठे हैं,
वे कुछ कहते नहीं,
उनकी जुदाई भी,
सह लेता हूँ,
ग़म लाख हैं,
फिर भी मुस्करा लेता हूँ।