कुछ दिलचस्प बातें- भाग २
कुछ दिलचस्प बातें- भाग २
दिल की किताबें यूँ ही ना खोल दिया करो, कुछ लोग किताबें ले तो लेते हैं पर पढ़ना भूल जाते है।
आँखों में धूल चली जाए तो कोई बड़ी बात नहीं, पर कोई आँखों में धूल झोंक कर चला जाए, बेशक यह छोटी बात नहीं।
दुनिया बड़ी अजीब है, खुद टूट जाए तो रोकर दर्द बयान करती है और सितारे टूट जाए तो हँसकर दुआ करती है।
वो पढ़ने में बहुत कमजोर थे, इसलिए मेरी खामोशी को भी ना पढ़ पाए और जनाब खेलने में बड़े ही माहिर थे तभी तो हमारी जज्बातों से खेल गए।
चार दिवारों की ख़ुशियाँ ही हमें भाती है बाहर तो लोग चेहरों पर नक़ाब लगाकर घूमते है।
आखिर कब तक मौके की तलाश करोगे, चलो उठो तभी तो कुछ खास करोगे।
हम तो धूप में भी अपनी ही परछाईं से खेलते हैं, जज्बातों से खेलना हमारी फितरत नहीं।
चलते चलते राहों में कई मोड़ आएँ, एक अजनबी से मिलकर हम दिल वहीं छोड़ आए।
रिश्तों की डोर भी बड़ी कमाल की होती है। जुड़े तो ग़म को तोड़ती है और टूटे तो दम ही तोड़ देती है।
ग़म और ख़ुशियों में भी शायद प्यार का रिश्ता होता है इसलिए ग़म हमेशा ख़ुशियों का पीछा करता है।
जिंदगी बहुत छोटी है पर सपने बेहद बड़े हैं। ना जीने दो, ना मरने दो, बस हमें कुछ कर लेने दो।
जिंदगी कभी खुली किताब है तो कभी बंद पहेली है। यहाँ समय के हिसाब से पन्ने बदल जाते हैं और पन्नों के हिसाब से जिंदगी बदल जाती है।