हाय !
हाय !
हाय ! ये तेरी आँखें
देख ले जो भी मुसाफ़िर
भूल जाए अपनी राहें
हाय ! ये तेरी अदा
लुटा दे सिकन्दर भी
इनपे सारा जहांं
हाय ! ये तेरी ज़ुल्फ़ें
कह भी न सकूं
कुछ मैं खुल के
हाय ! ये तेरा इठलाना
यूँ इतराना
ले गया दिल यूँ ही
तेरा बेवजह ही यूँ बलखाना...!