सुनो प्रिय
सुनो प्रिय
तुम किसी के प्रेम में नहीं पड़े...
परंतु ,
अक्सर देखा है तुम्हें
शहद चाटते वक्त
मधुमक्खियों का छत्ता सराहते
सुनते कलकल मरुस्थलों में
किसी भूमिगत नदी की
समंदर में खार नहीं
मोरपंखी नीला निहारते
सुनो प्रिय ,
प्रेम होना आवश्यक नहीं
प्रेम होना आवश्यक है...।